Waqf Act 2025 पर 'Supreme Court' में सुनवाई हुई पूरी, जानिए किसने क्या कहा!
वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर पूरे देश में सियासी पारा गर्म है। इस बीच, आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 'वक्फ कानून' पर मामले की सुनवाई की। इस दौरान दोनों पक्षों ने कोर्ट में अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। जिन्हें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसजी तुषार मेहता पहले ही पिछली सुनवाई में आश्वस्त कर चुके हैं कि 'वक्फ एक्ट' के कुछ प्रावधान लागू नहीं होंगे! और इस पर यदि पालन नहीं होता तो कोर्ट देखेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 20 मई को तारीख तय की है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑग्स्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने सरकार के तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा।
इस दौरान तुषार मेहता ने कहा कि हमने अपना जवाब कोर्ट में दाखिल कर दिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने पूछा कि क्या इस मामले में भी अंतरिम राहत के लिए सुनवाई हो रही है? इस सवाल का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर कोर्ट अंतरिम आदेश पर विचार करे, तो उसमें अधिक समय नहीं लगेगा! उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं की तरह वो भी शॉर्ट नोट्स दाखिल करेंगे। तो वहीं, वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकार्ताओं की ओर से देश के सीनियर वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे और कोर्ट के सामने याचिकार्ताओं का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने एक शॉर्ट नोट तैयार कर लिया है, जिसे हम सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से शेयर कर सकते हैं।
इस पर तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल का जवाब देते हुए कहा कि इस मामले में बड़ी संख्या में हस्तक्षेप आवेदन फाइल हुए हैं। ये कोर्ट पर निर्भर करता है कि वो सुने या नहीं! लेकिन मेरी राय में वो नहीं सुनी जानी चाहिए, यानी मुख्य याचिकाओं पर सुनवाई हो। वहीं सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि हमने अपनी याचिका में जिक्र किया है कि 'वक्फ एक्ट' में बदलाव के बावजूद इसके कुछ मनमाने प्रावधान बने हुए हैं! हमने पहले भी इन्हें रद्द करने की मांग की थी!
कोर्ट को हमारी मांग पर विचार करना चाहिए! इस पर कोर्ट ने कहा कि एसजी तुषार मेहता पिछली सुनवाई में ही आश्वासन दे चुके हैं कि 'वक्फ एक्ट' के कुछ प्रावधान लागू नहीं होंगे! यह व्यवस्था अभी लागू रहेगी! अगर इसका पालन नहीं होता है तो कोर्ट इस पर विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार कोर्ट को दिए गए अपने अंडरटेकिंग पर कायम है।