Bihar में सियासी तूफान तेज; Tejashwi Yadav का हमला, PM Modi को बताया 'पॉकेटमार प्रधानमंत्री'
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। पूर्व उप-मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर बड़ा हमला बोला है, जिसे लेकर सियासी गलियारों में इन दिनों ज़बरदस्त हंगामा मचा हुआ है। तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी पर सरकारी खर्चे से चुनावी प्रचार करने का आरोप लगाते हुए उन्हें ‘पॉकेटमार प्रधानमंत्री’ कहा। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री की एक-एक रैली पर बिहार की जनता की जेब से ₹100 करोड़ से अधिक खर्च किया जा रहा है, और पिछले 5 चुनावों में कुल मिलाकर यह आंकड़ा ₹20,000 करोड़ तक पहुंच चुका है।
तेजस्वी यादव ने एक पोस्ट में लिखा-
"आयोजन का बहाना है सरकारी, लेकिन प्रयोजन है प्रचार चुनावी!
जनता की जेब से हज़ारों करोड़ प्रचार पर खर्च करने वालों को पॉकेटमार ही कहा जाएगा, मददगार नहीं!"
तेजस्वी के इस बयान ने BJP और JDU के खेमे में खलबली मचा दी है।
BJP-JDU का जोरदार पलटवार-
भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि
"भारत का डंका बजाने वाले प्रधानमंत्री को पॉकेटमार कहकर तेजस्वी ने अपने ‘कुसंस्कारों’ का परिचय दिया है।" उन्होंने तंज कसा कि तेजस्वी "राजनीति में नौवीं फेल हैं और विरासत में आई गद्दी के भरोसे राजनीति कर रहे हैं।"
बिहार के उप-मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी तेजस्वी को आड़े हाथों लेते हुए कहा-
"तेजस्वी यादव जंगलराज और अराजकता के विद्यालय के छात्र हैं, जहाँ शालीनता नहीं, बल्कि शैतानियत सिखाई जाती है।"
उन्होंने पूछा कि तेजस्वी जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, क्या वो बिहार की संस्कृति के अनुरूप है?
सम्राट चौधरी का ‘गब्बर’ बयान और नया विवाद-
इस बीच बिहार के एक और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने विवाद को और हवा दे दी। उन्होंने कहा कि "बिहार का असली गब्बर कोई है तो वो लालू प्रसाद यादव हैं। लोग डरते हैं कि कहीं गब्बर यानी लालू न लौट आएं!"
इस बयान पर आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि
"सम्राट चौधरी वो किरदार हैं जो अपना ही थूका चाटते हैं।
उन्हें अपने हाथ पर लिख लेना चाहिए कि 'मैं गद्दार का बेटा हूं, मुझे वोट दो'।"
आपको बता दें कि बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, बिहार की राजनीति ‘निजी हमलों’ और तीखे शब्दों की जंग में बदलती जा रही है। एक ओर तेजस्वी यादव हैं, जो प्रधानमंत्री और एनडीए पर 'भ्रष्टाचार और प्रचारबाज़ी' के आरोप लगा रहे हैं, वहीं भाजपा और JDU इसे परिवारवाद और अराजकता की राजनीति का नमूना बता रहे हैं।अब देखना यह है कि बिहार की जनता 'पॉकेटमार बनाम प्रचारक' के इस नैरेटिव में किसे सच मानती है, और आने वाला चुनाव किसके पक्ष में जनादेश लेकर आता है!
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Sub Editor
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