उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गोवा में प्रतिमाओं का किया अनावरण; कहा- आज पुराणों और इतिहास में झांकने का समय !

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गोवा में प्रतिमाओं का किया अनावरण; कहा- आज पुराणों और इतिहास में झांकने का समय !

देश के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गोवा राजभवन में आयुर्वेदाचार्य चरक और सर्जरी के जनक सुश्रुत की प्रतिमाओं का अनावरण किया! इसी दौरान उन्होंने कार्यक्रम में प्राचीन ग्रंथों के साक्ष्य-आधारित सत्यापन, डिजिटलीकरण, अनुवाद और उन्हें आधुनिक संदर्भों में इस्तेमाल करने के लिए रिसर्च एंड इनोवेशन पर जोर दिया! उप-राष्ट्रपति ने कहा कि हम एक अलग तरह का राष्ट्र हैं, हम अपनी जड़ों को फिर से खोज रहे हैं; और उन्हीं जड़ों में स्थापित भी हो रहे हैं! मैं वैकल्पिक इलाज पर खास ध्यान देता हू्ं! क्योंकि भारत इसका जन्मस्थल रहा है! जो आज भी व्यापक रूप से प्रचलित है! हमारे प्राचीन ग्रंथ सिर्फ पुस्तकालयों की अलमारियों के लिए नहीं बल्कि ये विचार हैं, और इन्हें आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से दोबारा जीवित करने की जरूरत है!

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें अपने वेदों, उपनिषदों, पुराणों और इतिहास में झांकने का समय आ गया है! हमें हमारे बच्चों को जन्म से ही हमारी सभ्यता की गहराई की जानकारी देनी चाहिए! प्रतिमाओं के अनावरण के मौके पर धनखड़ ने कहा कि आज हम उन महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं जो ज्ञान के प्रतीक हैं! 'चरक और सुश्रुत' चरक कुषाण साम्राज्य में राजवैद्य थे और ‘चरक संहिता’ के रचयिता हैं, जो आयुर्वेद का मूल आधार है! वहीं, सुश्रुत शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के जनक माने जाते हैं! उप-राष्ट्रपति ने आगे कहा कि मुझे उनके समय सर्जरी के उपकरणों की तस्वीरों को देखने का अवसर मिला, उनकी काफी दूरदर्शी सोच थी!

हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि सुश्रुत धन्वंतरि के शिष्य थे, जो खुद एक प्रतिष्ठित आयुर्वेदाचार्य माने जाते हैं! चरक और सुश्रुत का जीवन आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनना चाहिए! उप-राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ वर्गों में यह देखा जाता है कि भारतीय या प्राचीन कुछ भी पिछड़ा है; यह मानसिकता अब आधुनिक भारत में बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है! दुनिया हमारी प्राचीन इतिहास के महत्व को पहचान रही है, समय आ गया है कि हम भी इसे पहचानें! यह धारणा कि सिर्फ पश्चिम ही प्रगतिशील है, अब चलन से बाहर होनी चाहिए! अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी माना है कि भारत आज संभावनाओं का केंद्र है!!

उप-राष्ट्रपति ने हमारे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धियों पर गर्व जताते हुए कहा कि सैकड़ों वर्ष पूर्व हम 300 से अधिक सर्जिकल कार्य, प्लास्टिक सर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स और यहां तक कि सिजेरियन डिलीवरी भी करते थे! सुश्रुत के लेखन सिर्फ शारीरिक रचना को नहीं दर्शाते, बल्कि वैज्ञानिक सोच, शुद्धता, ट्रेनिंग, स्वच्छता और पेशेंट की देखभाल के उच्च मानकों को भी सामने रखते हैं! 

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Sub Editor 

3 years experience in digital media. Home district Sitapur Uttar Pradesh. Primary education Saraswati Vidya Mandir Sitapur. Graduation Lucknow University.

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